25 जून को आपातकाल काला दिवस के विरोध में भाजपा प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुय वक्ता व पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष कोंडागांव दीपेश अरोरा ने वर्ष 1975 में लगाए गए आपातकाल को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया।

प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई

अरोरा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की निर्मम हत्या की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उस दौरान देशवासियों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और लाखों निर्दोष लोगों को जेलों में डाल दिया गया।

उन्होंने कहा कि 21 महीनों तक चले इस आपातकाल ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को झकझोर कर रख दिया। कहा ‘‘कांग्रेस की सत्ता लोलुपता, दमनकारी नीतियों और तानाशाही मानसिकता ने देशहित से ऊपर एक परिवार और एक व्यक्ति के अहंकार को रखा,’’। अरोरा ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले सभी युवाओं, पत्रकारों और जनआंदोलनों में भाग लेने वाले नागरिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि ’’आपातकाल के विरोध में उठी हर आवाज़ को मैं नमन करता हूँ।’

आपातकाल लोकतंत्र की हत्या का प्रतीक

 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व सांसद व भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश कश्यप और पूर्व विधायक डॉ. सुभाऊ कश्यप ने कांग्रेस सरकार की नीतियों को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए जमकर निशाना साधा।

दिनेश कश्यप ने कहा कि ‘‘25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने पूरे देश में आपातकाल लागू कर भारतीय लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि यह समय लोकतंत्र सेनानियों से सीख लेने का है कि किस प्रकार उन्होंने साहस और संकल्प से तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष किया।

‘‘आपातकाल का विरोध सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि देश की आत्मा को बचाने का संघर्ष था। इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि अरुण सिंह भदौरिया, नूपुर वैदिक, रमाकांत नायक, हुंगाराम मरकाम, पार्षद रंजीत बारठ, रमेश यादव सहित भाजपा के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम में लोकतंत्र की रक्षा की प्रतिज्ञा के साथ कांग्रेस की नीतियों की कड़ी आलोचना की गई।